नई दिल्ली12 मिनट पहलेलेखक: ऐश्वर्या शर्मा
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प्यार का मौसम शुरू हो गया है। प्यार के इस हफ्ते में ना केवल फिजाओं में मोहब्बत घुली हुई है बल्कि भावनाएं भी गुलाबी हो चली हैं।
14 फरवरी को स्पेशल बनाने के लिए कई लोग डेटिंग वेबसाइट पर एक्टिव होकर मोहब्बत की तलाश में जुटे हुए हैं। वहीं जो लोग किसी को प्रपोज करने की सोच रहे हैं, वह परफेक्ट डेटिंग का प्लान बना रहे हैं। फरवरी में सबसे ज्यादा ‘डोपामाइन डेटिंग’ होती है।
‘डोपामाइन डेटिंग’ भले ही नया शब्द लगे लेकिन डेटिंग के दौरान हुए शुरुआती एहसास को इसी नाम से पुकारा जाता है।
नया-नया प्यार बढ़ाता हैपी हार्मोन
रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. गीतांजलि शर्मा कहती हैं कि डोपामाइन एक हैप्पी हार्मोन है और डेटिंग पहली बार खुशी ही देती है। इसलिए इसे डोपामाइन डेटिंग का नाम दिया गया है।
कोई भी नई मुलाकात, नया रिश्ता, उससे जुड़ा एहसास हर इंसान को एक उत्साह, ऊर्जा और उत्तेजना से भर देता है। खासकर जब मुलाकात की बात अपोजिट सेक्स से हो रही हो।
तब व्यक्ति उससे मिलने के लिए बेताब होता है और प्यार से मुलाकात की ये बेताबी बॉडी में डोपामाइन का लेवल बढ़ाने लगती है। इसीलिए नए रिश्ते में कपल्स के बीच का प्यार हमेशा तेजी से परवान चढ़ता है।
नया प्यार इंसान को उस समय दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान होने का एहसास दिलाता है। वह अपने पार्टनर के साथ स्पेशल फील करते हैं।
यह नया एहसास व्यक्ति में मेंटल और इमोशनल इंटीमेसी का लेवल भी बढ़ाता है जिससे वह रिश्ते को लेकर कई तरह के अनुभव करते हैं।
यही नहीं कपल एक-दूसरे को ढेर सारे मीठे सरप्राइज देते हैं।
अपना प्यार जताने के लिए चौका देने वाले नए नए तरीके ढ़ूढ़ना और अंदाज अपनाना नए नए रिश्ते को मजबूत बनाने का काम करता है।
शुरुआत में कपल्स एक-दूसरे के लिए किसी पहेली से कम नहीं होते। ऐसे में एक दूसरे के बारे में नई-नई बातें जानना और समझना भी उत्साह को बढ़ाता है। ये सभी बातें डोपामाइन डेटिंग का हिस्सा होती हैं।
नए रिश्ते में बातचीत बढ़ाती उत्साह
नया रिश्ता नशे की तरह सिर पर सवार रहता है और नई ड्रेस, नई कार से कहीं ज्यादा खुशी देता है। ऐसा रिश्ता जिंदगी के प्रति उत्साह बढ़ाता है। लेकिन जब रिश्ता पुराना, नीरस, बेरंग हो हो जाए तो ये उत्साह खोने लगता है।
मनोचिकित्सक डॉ. अवनि तिवारी कहती हैं कि रोमांस और इश्क का साइंस दिमाग से जुड़ा है। इसकी एक अलग केमेस्ट्री होती है। नए-नए प्यार में पड़ा व्यक्ति पार्टनर का चेहरा देख ले या उनसे बात भर कर ले तो ब्रेन का रिवॉर्ड सेंटर एक्टिवेट हो जाता है।
मोहब्बत में रुमानियत के साथ की गई बातचीत कुछ सेकंड में ही व्यक्ति को जोश और खुशी से भर देती है।
प्यार का खुमार किसी नशे की तरह ही होता है क्योंकि रोमांस का साइंस हार्मोन्स से जुड़ा होती है और यही वजह इंसान जैसे जैसे प्यार में डूबता जाता है उसका डोपामाइन लेवल बढ़ता जाता है।
यही दो हर्मोन दो लोगों के बीच को रिश्ते को गहरा बनाते हैं। जब रिश्ता लंबे समय तक टिका रहता तो उस रिश्ते में ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन एक्टिव हो जाता है। ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन रिश्ते में ठहराव लाता है और रिश्ता लंबे समय तक खूबसूरत बना रहता है।
नया इश्क सम्मोहन से कम नहीं
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने लव साइंस पर एक स्टडी की। इसमें प्यार की 3 स्टेज को बताया गया। प्यार की पहली स्टेज ‘लस्ट’ में डोपामाइन डेटिंग शामिल है।
इसमें कपल्स के बीच कुछ समय के लिए आकर्षण (infatuation) बढ़ता है। उन्हें एक दूसरे के प्रति लगाव होने लगता है।
इस स्टेज में जब इंसान अपने प्यार को देखता है तो पुरुषों में टेस्टेस्टेरॉन और महिलाओं में एस्ट्रोजन रिलीज होते हैं। इससे उनके बीच नजदीक आने की इच्छा बढ़ती है।
वह एक दूसरे से मिलना चाहते हैं, बात करना चाहते हैं। इसी स्टेज पर डोपामाइन उन्हें एक-दूसरे को खुश करने के लिए सरप्राइज मूव प्लान करवाता है।
यानी कुछ ऐसा कर जाएं पार्टनर खुशी से चौंके भी और निहाल भी हो जाए। यही वो दौर है जब उसे आम भाषा में कहने वाले कहते हैं, ‘भई…वो तो प्यार के खुमार में उड़ रहा है।’
प्यार की दूसरी स्टेज अट्रैक्शन है यानी आकर्षण है। इसमें इंसान की दिल की धड़कनें बढ़ने लगती हैं। वह अपने पार्टनर को देख एक्साइटेड हो जाता है। पार्टनर से जुड़ी छोटी छोटी बातें उसे खुशी से भर देती हैं और वह उछलने लगता है।
प्यार जब अपने तीसरे पायदान पर पहुंचता है तो उसे पार्टनर से अटैचमेंट होने लगता है। इस स्टेज पर कपल के बीच जुड़ाव और नजदीकियां बढ़ती हैं। रिश्ता मजबूत होता है और प्यार तेजी से परवान चढ़ता है।
डोपामाइन खत्म, रिश्ता भी खत्म
डोपामाइन हार्मोन बेहद चंचल होता है। यह रिश्ते में बार बार तभी रिलीज होता है जब प्यार में नएपन का एक्साइटमेंट लगातार बना रहता है। अगर प्यार एक्साइटमेंट खत्म होने लगता, निरसता बढ़े, तो डोपामाइन रिश्ते में लंबे समय तक टीका नहीं रहता।
डोपामाइन का लेवल गिरते ही ब्रेकअप की आशंका बढ़ जाती है क्योंकि व्यक्ति को पार्टनर का साथ उत्साहित नहीं कर पाता और वह उसके साथ खुश नहीं रहता। कई बार शादी के बासी पड़ने की सोच इसी दौर से गुजरती है।
मनोचिकित्सक मुस्कान कहती हैं कि आज के युवाओं को एक्सपेरिमेंट करने की आदत-सी पड़ गई है। वह एक पार्टनर के साथ ज्यादा समय तक टिकना पसंद नहीं करते क्योंकि वह जल्दी बोर होने लगते हैं। इसलिए विदेशों की तरह भारत में डेटिंग ऐप का इस्तेमाल खूब होने लगा है।
डोपामाइन हनीमून पीरियड जैसा
डोपामाइन प्यार, एक्साइटमेंट, अट्रैक्शन, चाहत और सेक्शुअल एक्टिविटीज को बढ़ाता है। इसके बाद ही रिश्ता महज आकर्षण से आगे निकलकर धीरे-धीरे मजबूत होता जाता है। अगर पार्टनर से नजदीकी बढ़ने लगे तो डेटिंग पॉजिटिव और हेल्दी रिलेशनशिप में बदलने लगती है। डोपामाइन हार्मोन कपल के लिए एक तरह का हनीमून पीरियड जैसा होता है जो शुरुआत में खुशनुमा एहसास कराता है लेकिन इसे सारी जिंदगी कोशिश करके बरकरार भी रखा जा सकता है।
डॉ. गीतांजलि कहती हैं कि डोपामाइन शादी के बाद लंबे समय तक बरकरार रखने का सीक्रेट है- सरप्राइज। जब कपल एक-दूसरे को अपने प्यार से चौंका देते हैं तो रिश्ते में एक्साइटमेंट बरकरार रहता है।
कपल का रिश्ता भले ही कितना पुराना हो चुका हो लेकिन अगर वह दिल से युवा रहेंगे और रिश्ते को युवा रखने के लिए एक दूसरे को नए नए ढंग ढंग रिझाएंगे और खुश करेंगे तो रिश्ते से कभी हनीमून पीरियड खत्म नहीं होगा।
हसबैंड वाइफ को डेट पर जरूर जाना चाहिए। चाहे वो लांग ड्राइव हो या दोनों के बीच बिताया गया क्वालिटी टाइम।
सेक्शुअल प्लेजर जैसी डेटिंग
डॉ. गीतांजलि कहती हैं कि डोपामाइन आनंद का एहसास कराता है। दरअसल हमारे ब्रेन को 2 तरह से खुशी मिलती है। इसमें 2 सिस्टम काम करते हैं। एंटीसिपैटरी प्लेजर सिस्टम और कंज्यमैटरी प्लेजर सिस्टम।
एंटीसिपैटरी प्लेजर सिस्टम में नशे के बाद वाला या फोरप्ले जैसा आनंद महसूस होती है। यानी जब कपल एक दूसरे को डेट करते हैं और रोमांटिक बातें करते हैं तो ठीक वैसा ही महसूस होता है जैसा संबंध बनाने से पहले का एहसास होता है।
दूसरा प्लेजर ‘कंज्यूमैट्री प्लेजर सिस्टम’ कहलाता है। इसमें संबंध बनाने के बाद मिलने वाला सुख का एहसास होता है। जो पार्टनर आपस में संबंध बनाने की बातें करते हैं, उनके अंदर वैसा ही एक्साइटमेंट पैदा होने लगता है। इससे डोपामाइन का लेवल बढ़ता है और उन्हें डोपामाइन डेटिंग के जरिए ही सेक्शुअल प्लेजर का एहसास होता है।
फरवरी के मौसम बढ़ता डोपामाइन डेटिंग एक्साइटमेंट
फरवरी की गुलाबी सर्दी व्यक्ति के हार्मोन्स के लेवल को बदलती रहती है। मेलबर्न स्थित ‘बेकर हार्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट’ की एक रिसर्च के मुताबिक सर्दी में इंसान को गर्माहट की तलाश होती है जो केवल उसका पार्टनर ही उसे एहसास करा सकता है। दरअसल इस मौसम में सेरोटोनिन नाम के हार्मोन का स्तर गिर जाता है जिससे मूड स्विंग बढ़ जाते हैं।
इससे बॉडी में भी बदलाव होने लगते हैं। लेकिन इस मौसम में पार्टनर का साथ मिल जाए तो डोपामाइन का लेवल अचानक बढ़ जाता है जैसे सर्दियों में धूप सेंकने से मिलने वाली गर्माहट अच्छी लगती है।
वैसे ही फरवरी में पार्टनर का साथ एनर्जी से भर देता है। रोमांटिक ख्याल बार बार आते हैं और वह हमें खुशमिजाज बनाते हैं। शायद इसलिए फरवरी के मौसम की गुलाबी ठंडक के बीच पार्टनर को देखते ही एक सुकून भरी गर्माहट का एहसास होता है जो ये कहता है कि चलो हम तुम इश्क लड़ाएं…।
ग्राफिक्स: सत्यम परिडा
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