नई दिल्ली48 मिनट पहले
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स्टोरीबोर्ड18 DNPA कॉन्क्लेव में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि जो लोग आईटी नियमों को मनमाना मानते हैं, उन्होंने नियमों का अच्छी तरह से विश्लेषण नहीं किया है। OTT प्लेयर्स की चिंता को लेकर उन्होंने यह बात कही है।
उनके अनुसार आईटी नियम उस कंटेंट को प्रतिबंधित और नियंत्रित करते हैं जो न केवल आईटी नियमों का बल्कि भारतीय दंड संहिता का भी उल्लंघन करती है। यदि आप नियमों को पढ़ेंगे, तो आप पाएंगे कि उपभोक्ता की सुरक्षा के लिए नियम बिल्कुल स्पष्ट और सरल हैं।
11 प्रकार का गैरकानूनी कंटेंट, किसी भी प्लेटफॉर्म पर नहीं होना चाहिए
केंद्रीय मंत्री ने कहा, हमने जो निर्धारित किया है वह 11 प्रकार का गैरकानूनी कंटेंट है जो किसी भी प्लेटफॉर्म पर नहीं होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि वे न केवल आईटी अधिनियम के अनुसार गैरकानूनी हैं बल्कि आपराधिक संहिता के तहत भी गैरकानूनी हैं।
उदाहरण के लिए, चाइल्ड सेक्शुअल मटेरियल। कोई भी यह तर्क नहीं दे सकता कि किसी भी प्लेटफॉर्म या इंटरनेट पर इस कंटेंट पर प्रतिबंध लगाना गलत है। सिर्फ इसलिए कि आप इंटरनेट पर हैं इसका मतलब यह नहीं है कि देश के कानून आपके लिए नहीं होंगे।
स्टोरीबोर्ड18 DNPA कॉन्क्लेव में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर शामिल हुए।
ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज बिल का ड्राफ्ट भी तैयार
केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय ने नए ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज बिल का ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है। इसमें ओटीटी, सैटेलाइट केबल टीवी, डीटीएच, आईपीटीवी, डिजिटल न्यूज और करेंट अफेयर्स के लिए भी नए नियम बनाए जा रहे हैं।
इसके बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क ऑपरेटर कहलाएंगे। यदि कोई ऑपरेटर या ब्रॉडकास्टर नियमों को नहीं मानता है, तो सरकार उस कंटेंट को संशोधित करने, डिलीट करने या तय घंटों तक ऑफ एयर रहने से लेकर संबंधित प्लेटफॉर्म पर पाबंदी भी लगा सकती है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा
नए नियमों के तहत ओटीटी चैनल को सरकार के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा। सब्सक्राइबर बेस बताना होगा। ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए कड़े कानून लागू होने से उनकी लागत बढ़ेगी। ऐसे में उपभोक्ताओं के लिए सब्सक्रिप्शन फीस महंगी की जा सकती है।
इस बिल में 6 चैप्टर, 48 धाराएं और तीन शेड्यूल हैं। यह बिल कानून बनने पर मौजूदा केबल टेलीविजन नेटवर्क्स (रेगुलेशन) एक्ट, 1995 और प्रसारण से जुड़े दूसरे दिशा-निर्देशों की जगह लेगा। केंद्र सरकार ने इस मसौदे पर 9 दिसंबर तक सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं।
नियम नहीं माने तो 5 लाख रुपए का दंड व पाबंदी तक संभव
ओटीटी आदि पर प्रसारित कंटेंट पर नजर रखने के लिए ब्रॉडकास्टिंग एडवाइजरी काउंसिल (बीएसी) बनेगी। यह कोड के उल्लंघन के मामले में केंद्र को सिफारिश भेजेगी।
इसमें मीडिया के 25 साल के अनुभव वाला व्यक्ति चेयरमैन होगा और 5 सरकारी व पांच गैर-सरकारी संभ्रांत नागरिक सदस्य होंगे। कोड का उल्लंघन हुआ तो ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अस्थायी निलंबन, सदस्यता से निष्कासन, सलाह, चेतावनी, निंदा या 5 लाख रु. तक का दंड संभव।
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