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No mediclaim for dental disease, plastic surgery | दांत की बीमारी, प्लास्टिक सर्जरी में मेडिक्लेम नहीं: डिलीवरी या IVF में भी क्लेम नहीं, मेडिक्लेम और हेल्थ इंश्योरेंस में अंतर जानिए

नई दिल्ली4 दिन पहले

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हेल्थ इंश्योरेंस और मेडिक्लेम को लेकर कई बार लोग कंफ्यूज रहते हैं। लेकिन दोनों एक नहीं हैं जबकि दोनों स्वास्थ्य से जुड़ी बीमा को ही कवर करते हैं।

मेडिक्लेम में किसी खास बीमारी का इलाज एक सीमा तक ही होता है। जबकि हेल्थ इंश्योरेंस में डायग्नोसिस, डॉक्टर की फीस भी मिल सकती है।

मेडिक्लेम में एंबुलेंस पर खर्च हुए पैसे का रिइम्बर्समेंट नहीं मिलता। लेकिन हेल्थ इंश्योरेंस में एक लिमिट तक यह रिइम्बर्स किया जाता है।

मेडिक्लेम में मरीज का हॉस्पिटलाइज्ड होना जरूरी है। यदि हॉस्पिटल में एडमिट नहीं हो रहे तो तो मेडिक्लेम इंश्योरेंस लागू नहीं होता।

मेडिक्लेम में हेल्थ इंश्योरेंस के मुकाबले कवरेज कम होता है। आमतौर पर यह 5 लाख से अधिक नहीं हो सकता। जबकि हेल्थ इंश्योरेंस में कंप्रिहेंसिव पॉलिसी को शामिल किया जाता है।

अगर मेडिक्लेम 5 लाख का है तो आप एक साल के अंदर कई क्लेम कर सकते हैं। एसुअर्ड अमाउंट खत्म होने के बाद मेडिक्लेम का लाभ नहीं ले सकते। जबकि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में साल में एक क्लेम ही किया जा सकता है।

आज के ‘टेकअवे’ में हेल्थ इंश्योरेंस की बारिकियों को समझेंगे।

यह मिथ है कि स्मोकिंग और शराब पीने वालों को मेडिक्लेम की पॉलिसी नहीं मिलती। इससे जुड़े क्या टर्म और कंडीशन हैं, इस ग्रैफिक से जानते हैं-

सभी हेल्थ इंश्योरेंस प्लान पहले से मौजूद बीमारियों को कवर करते हैं। लेकिन, इन्हें 48 महीने के बाद ही कवर किया जाता है। कुछ 36 महीने बाद इन्हें कवर करते हैं।

हालांकि, पॉलिसी खरीदते वक्त ही पहले से मौजूद बीमारियों के बारे में बताना होता है। इससे क्लेम सेटलमेंट में दिक्कत नहीं आती है। यह भी एक मिथ है गंभीर बीमारियों में हेल्थ इंश्योरेंस नहीं मिलता।

अस्पतालों में अब 100 प्रतिशत कैशलेस ट्रीटमेंट की शुरुआत की गई है। पहले 80% तक कैशलेस और 20% अपने पॉकेट से पैसे देने होते थे। लेकिन अब इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने बदलाव किया है।

हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाले लोग टीपीए के बारे में जानते होंगे। TPA यानी थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर किस तरह हेल्थ सर्विसेज से जुड़ा है, आइए इसे जानते हैं-

पहले इंश्योरेंस कंपनी के नेटवर्क के बाहर के अस्पताल में इलाज कराने पर कैशलेस फैसिलिटी नहीं मिलती थी। रिइम्बर्समेंट क्लेम करना पड़ता जिसमें कई तरह के विवाद होते और इसमें देरी होती।

छोटे शहरों और ग्रामीण इलाके के लोगों को नेटवर्क के अस्पतालों में कैशलेस इलाज के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी।

ग्रैफिक्स: सत्यम परिडा

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