नई दिल्ली9 दिन पहलेलेखक: ऐश्वर्या शर्मा
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बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह और पॉर्न एक्टर जॉन सिंस के विज्ञापन पर पिछले दिनों खूब हंगामा मचा। मैन्स सेक्शुअल हेल्थकेयर ब्रैंड के इस विज्ञापन में पुरुषों की सेक्शुअल परफॉर्मेंस से जुड़े मुद्दे को उठाया गया।
इसे टीवी सीरियल के एक एपिसोड की तरह फिल्माया गया है जिस पर कई टीवी एक्टर्स ने खुलकर नाराजगी और ऐतराज तक जताया। रश्मि देसाई इस विज्ञापन को टीवी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की बेइज्जती तक कहने से नहीं हिचकिचाईं।
लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। जिस समाज में यौन शिक्षा और इस विषय को लेकर जागरूकता ना के बराबर हो इसलिए इस विज्ञापन के जरिए पुरुष की सेक्शुएलिटी से जुड़े 2 मुद्दों पर बात करना बेहद जरूरी हो जाता है। चाहे स्वीकार नहीं करें, लेकिन सभी जानते हैं कि इन विषयों पर बात करने से समाज बचता रहा है और परिवार टूटते रहे हैं।
पहला मुद्दा है पुरुषों की सेक्शुअल हाइजीन और दूसरा है- उनकी सेक्शुअल परफॉर्मेंस, जिस पर कोई बात नहीं करता। जब पुरुषों की सेक्शुएलिटी से जुड़े विषयों पर ‘ओह माई गॉड 2’ जैसी फिल्में या विज्ञापन बनते हैं तो लोग उन्हें भौहें चढ़ाकर टेढ़ी नजर से देखते हैं।
समाज में पुरुषों की सेक्शुअल प्रॉब्लम्स का ठीकरा हमेशा महिलाओं के सिर पर फोड़ दिया जाता रहा है। ऐसे में स्त्री के गले में ‘बांझ’ की तख्ती टांग दी जाती है जबकि भारत की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा है लेकिन सेक्स की बात करने पर छीं-छीं, थू-थू होने के साथ होंठ सिले रखने की हिदायतें मिलती हैं।
धीरे-धीरे ही सही लेकिन विज्ञापनों ने भारतीय समाज में सेक्शुअल हेल्थ की बात शुरू की है। हालांकि अभी भी महिलाओं की सेक्शुअल हाइजीन के प्रोडक्ट टीवी, इंटरनेट या रेडियो पर ज्यादा देखने और सुनने को मिलते हैं।
पुरुषों की सेक्शुअल हेल्थ पर बात क्यों नहीं होती जबकि प्रेग्नेंसी ना ठहरने और पत्नी को कई बीमारियां ट्रांसफर उन्हीं की वजह से होती हैं। क्या पुरुषों को सेक्शुअल हेल्थ और हाइजीन की जरूरत नहीं?
उनकी सेक्शुअल परफॉर्मेंस से जुड़े प्रोडक्ट चोरी-छुपे बिकते हैं लेकिन उनकी सेक्शुअल हाइजीन से जुड़ी जागरुकता पर ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी जाती।
पुरुषों की सेक्शुअल हाइजीन भी जरूरी
यूरोलॉजिस्ट डॉ. वेंकटेश कुमार कहते हैं कि अधिकतर पुरुष अपनी सेक्शुअल हाइजीन पर ध्यान नहीं देते। वह यूरिन करने के बाद अपना जेनिटल एरिया और हाथ वॉश नहीं करते। हर पुरुष के लिए सेक्शुअल हाइजीन जरूरी है।
वह साफ रहेंगे तो उनकी सेक्शुअल परफॉर्मेंस भी बेहतर होती है क्योंकि दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं। जब व्यक्ति सफाई से रहता है, रोज जेनिटल एरिया वॉश करता है तो वह कई बीमारियों से अपने शरीर को बचाता है और अच्छा महसूस करता है।
पानी से ही धोएं प्राइवेट पार्ट
डॉ. वेंकटेश कुमार कहते हैं कि कई पुरुष मेडिकेटेड सोप या डेटॉल से प्राइवेट पार्ट को वॉश करते हैं जो कि गलत है। इस बॉडी पार्ट को हमेशा सिर्फ साफ पानी से वॉश करना चाहिए।
वहीं, आजकल बाजार में प्राइवेट पार्ट को वॉश करने वाले कई प्रोडक्ट बिक रहे हैं, उन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के इस्तेमाल ना करें।
इन प्रोडक्ट के इस्तेमाल से प्राइवेट पार्ट के नॉर्मल माइक्रोफ्लोरा खत्म होने लगते हैं जिससे पुरुषों के इस बॉडी पार्ट पर फुंसी या इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है।
पुरुषों को फोरस्किन हटाकर अपना जेनिटल एरिया पानी से अच्छी तरह साफ करना चाहिए। कई बार यूरिन करने के बाद उसमें यूरिन की कुछ बूंदें रह जाती हैं या संबंध बनाने के बाद सीमेन या पार्टनर का फ्लूड रह जाता है जिससे इस बॉडी पार्ट में इंफेक्शन हो सकता है।
डॉ. वेंकेटेश कुमार कहते हैं कि पुरुष अगर सेक्शुअल हाइजीन का ध्यान ना रखें तो जाने-अनजाने में अपनी महिला पार्टनर को फंगल या बैक्टीरियल इंफेक्शन ट्रांसफर कर सकते हैं। इससे यौन संबंधों से जुड़ी दिक्कतों का खतरा भी बढ़ सकता है।
संबंध बनाने के बाद अंडरवियर बदलें
जब पुरुष संबंध बनाते हैं तो उनके जेनिटल पार्ट से सेबिनल फ्लूइड यानी तरल पदार्थ निकलता है जो संबंध बनाने के दौरान लुब्रिकेंट का काम करता है। यह तरल पदार्थ सीमेन के बाद भी निकलता है जिससे प्राइवेट पार्ट में गीलापन रहता है।
ऐसे में अगर पुरुष संबंध बनाने के बाद वही अंडरवियर पहन लें तो यह तरल पदार्थ उसमें लग जाता है जो बैक्टीरियल इन्फेक्शन का कारण बन सकता है।
संबंध बनाने के बाद तुरंत प्राइवेट पार्ट को क्लीन करें। डॉ. वेंकटेश कुमार कहते हैं कि इस जानकारी के अभाव के चलते मरीजों का हमारे पास आना आना आम बात है।
कंडोम भी मेल हाइजीन का हिस्सा
हैदराबाद बेस्ड इंटरनेशनल सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. शर्मिला मजूमदार कहती हैं कि कंडोम भी मेल हाइजीन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। कंडोम से कई तरह के इंफेक्शन फीमेल पार्टनर को ट्रांसफर नहीं होते और पुरुष भी इंफेक्शन से बचते हैं।
वहीं, सेक्शुअल हाइजीन को ध्यान में रखते हुए पुरुषों को संबंध बनाने से पहले, उसके दौरान और बाद में अपने हाथ और प्राइवेट पार्ट जरूर वॉश करना चाहिए। ओरल और एनल सेक्स के बाद कंडोम बदल लेना जरूरी।
इजेकुलेशन का समय 3 से 5 मिनट तक नॉर्मल
डॉ. वेंकटेश कुमार के अनुसार कुछ मरीजों को प्रीमैच्योर इजेकुलेशन की दिक्कत होती है। सामान्य इजेकुलेशन का समय 3 से 5 मिनट का होता है। अगर यह 1 मिनट का है या अगर किसी पुरुष को केवल सोचने या छूने पर ही केवल 10 सेकंड में आनंद महसूस होता है तो यह गंभीर स्थिति है।
वहीं कुछ पुरुषों को इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की दिक्कत होती है। इसकी वजह प्राइवेट पार्ट में ब्लड की सप्लाई ठीक ना होना है।
कुछ पुरुषों में लिबिडो यानी संबंध बनाने की इच्छा की कमी होती है। यह टेस्टोस्टेरोन की कमी से होता है जिसे ठीक करने के लिए शिलाजीत जैसे एक नेचुरल बूस्टर दिए जाते हैं।
लेकिन कुछ लोग विज्ञापनों को देखकर टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाने के लिए इंजेक्शन लगा लेते हैं जिससे स्पर्म काउंट कम होने लगते हैं और पुरुषों को इनफर्टिलिटी की दिक्कत होती है।
सेक्शुअल प्रोडक्ट प्राइवेट पार्ट को पहुंचा सकते हैं नुकसान
भारत में पुरुषों की मर्दानगी को सेक्शुअल परफॉर्मेंस से जोड़ा जाता है। इस बारे में कई विज्ञापन भ्रम भी फैला रहे हैं। यूरोलॉजिस्ट डॉ. वेंकटेश कुमार कहते हैं कि आजकल बाजार में सेक्स पावर बढ़ाने की कई दवाएं और सप्लीमेंट मौजूद हैं लेकिन पुरुष इस बारे में नहीं सोचते कि क्या वाकई में उन्हें इन प्रोडक्ट्स की जरूरत है? अगर कोई दिक्कत नहीं है तो इन प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से बचें।
अगर खुद की सेक्शुअल परफॉर्मेंस को लेकर कोई शंका है तो यूरोलॉजिस्ट के पास जाएं क्योंकि यूरोलॉजिस्ट ही सेक्सोलॉजिस्ट है। बिना डॉक्टर की सलाह के दवा लेने से प्राइवेट पार्ट को नुकसान पहुंच सकता है।
डॉ. वेंकटेश कहते हैं कि बाजार में सेक्शुअल परफॉर्मेंस के लिए कई तरह के स्प्रे और जेल आते हैं जो इजेक्यूलेशन में इस्तेमाल होते हैं। इनमें ऐनेस्थेशिया होता है जो प्राइवेट पार्ट को सुन कर देते हैं और परफॉर्मेंस के टाइम को बढ़ा देते हैं लेकिन पुरुष यह नहीं समझ पाते हैं कि इन प्रोडक्ट्स को कब और कितना इस्तेमाल करना है।
मेंटल हेल्थ खराब तो सेक्शुअल हेल्थ भी बिगड़ती है
दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में मनोचिकित्सक डॉ. राजीव मेहता कहते हैं कि सेक्स के 4 फेज होते हैं: डिजायर, इरिक्शन, ऑर्गेज्म और रेजोल्यूशन। चारों फेज एक दूसरे के पूरक हैं।
जब मेंटल हेल्थ खराब होती है तो सेक्शुअल डिजायर और परफॉर्मेंस पर भी असर पड़ता है। इससे पुरुषों को डिस्चार्ज, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और कमजोर लिबिडो की समस्या हो सकती है।
हमारे समाज में पुरुषों की मर्दानगी को लेकर कई मिथ हैं और उन्हें सेक्स एजुकेशन के बारे में बैठकर समझाने वाला कोई नहीं।
परफॉर्मेंस का कनेक्शन डर से भी है। कई बार पुरुष सोचते हैं कि वह अपनी पार्टनर को संतुष्ट कर पाएंगे या नहीं, अगर पार्टनर ने मजाक उड़ा दिया तो वो क्या करेंगे।
दोस्तों के बीच सेक्स को लेकर बड़-बोलनापन और गप्पे चलती हैं जो गलतफहमियों को बढ़ावा देती हैं। पॉर्न फिल्में भी झूठी उम्मीदें बांधती हैं। ऐसे में अक्सर पुरुष एंग्जाइटी का शिकार हो जाते हैं जो उनकी सेक्स लाइफ पर बुरा असर डालता है। मनोचिकित्सक ऐसे लोगों की काउंसिलिंग कर एंटी एंग्जाइटी की दवा देते हैं जिससे वैवाहिक जीवन सुधरता है।
सेक्शुएलिटी बढ़ाने वाली मीठी गोलियां सिर्फ धोखा
डॉ. राजीव मेहता कहते हैं कि सेक्शुअल परफॉर्मेंस मेंटल हेल्थ, ब्लड वेसल हेल्थ, नर्व हेल्थ और फिजिकल हेल्थ पर निर्भर करती है। आजकल बाजार में मेल सेक्शुअल वेलनेस के नाम पर कई गमीज आ रही हैं। यह गमीज इंसान के अंदर एक पॉजिटिव होप यानी उम्मीद पैदा करती हैं। इन गमीज को खाने से plesicoact यानी दिमाग में उम्मीद की किरण जगती है जबकि इन चीजों का कोई सांइटिफिक सबूत नहीं है। यह मीठी गोलियां एक मीठा धोखा है।
पुरुषों की सेक्शुएलिटी यानी मर्दानगी
मनोचिकित्सक स्निग्धा मिश्रा बताती हैं कि भारतीय समाज में सेक्स या इससे जुड़ी बातों को गंदा माना जाता है। चूंकि यह गंदा विषय है इसलिए इसके बारे में बात भी नहीं होती। खजुराहो का मंदिर जो इंसानों के इमोशन और शारीरिक जरूरतों का प्रतीक है, उसे अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता है। हमारा कल्चर ऐसा नहीं था, लेकिन बना दिया गया।
सेक्स भले ही गंदा हो लेकिन जब सेक्शुएलिटी की बात आती है तो समाज में भेद दिखता है। महिला इस पर बात करें तो वह खराब औरत कहलाती है और अगर मर्द करे तो वह ‘सेक्सी’ या ‘माचो’ बन जाते हैं। समाज ने ही यह कैरेक्टर बनाए हैं।
समाज में यह भी धारणा है कि मर्द ज्यादा सेक्शुअल होते हैं और जो मर्द सेक्स की इच्छा जाहिर नहीं करते, उसे नपुंसक कह दिया जाता है।
मर्दों की सेक्शुअल परफॉर्मेंस तभी खराब होती है, जब वह हद से ज्यादा पॉर्न मूवी देखते हों, शराब या स्मोकिंग करते हों, नींद पूरी नहीं लेते या तनाव में रहते हों।
एक बात और विज्ञापन में घर छोड़कर जा रही छोटी बहू रणवीर सिंह बने अपने जेठजी से ड्राइंगरूम में खड़े होकर अपनी मैरिड लाइफ का एक कमजोर पक्ष खुलकर कह रही है। ऐसा करता कौन है? अधिकतर कपल्स इस तरह की समस्याओं को लेकर मन ही मन घुटते रहते हैं।
ताज्जुब है कि सेक्स एजेकुशन से परहेज करने वाला समाज इतने ओछे अंदाज में एक सामाजिक और सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी समस्या को देख भी रहा है और सुन भी रहा है। क्या यह वही समाज है जहां सेक्स एजुकेशन का सवाल उठते ही हाहाकार मच जाता है। अगर सही उम्र में सही जानकारियां युवाओं को मिले तो मैरिड लाइफ में ऐसी समस्याएं खड़ी ही ना हों।
सेक्शुअल परफॉर्मेंस सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ा मुद्दा जरूर है लेकिन सेक्शुअल हाइजीन के बिना सेक्शुअल परफॉर्मेंस का हेल्दी होना नामुमकिन है।
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